गुरु दत्त, Guru Dutt
ASIN: B00KCWVHV2
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Pages: 471
युद्ध-काल में भरती किये गए सैनिकों की छटनी की जा रही थी। मथुरासिंह की रेजिमेंट भी इनमें थी। मथुरासिंह की रेजिमेंट इस समय अम्बाला छावनी में ठहरी हुई थी। वहीं उनके लिए आज्ञा पहुँची कि राजपूत एक सौ बीस को ‘डिसबैंड’ किया जाता है और यदि इस विषय में किसी को कुछ कहना हो तो वह सैनिक मुख्य कार्यालय, नई दिल्ली को अपना प्रार्थना-पत्र भेज सकता है। उसी आज्ञा में प्रार्थना-पत्र देने की अन्तिम तिथि की घोषणा भी थी। उस रेजिमेंट में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं था, जो सेना का कार्य छोड़ना चाहता हो। सभी इस आशय का प्रार्थना-पत्र देने की इच्छा रखते थे कि वे सैनिक जाति के घटक होने से सैनिक कार्य को अपना जातीय कार्य समझते हैं। देश में स्वराज्य स्थापित हो गया। अतः अब वे अपने देश की सेवा करने की इच्छा करते हैं